
राहत इन्दोरी | अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे !!!!
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे, ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे, […]
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे, फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे, ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे, […]
Dosti jab kisi se ki jaaye, Dushman’on ki bhi raaye li jaaye ..! Maut ka zehar hai fizaaon mein, Ab kahan jaa ke saans li […]
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक के संभलते क्यों हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं, मैं न जुगनू हूँ, दिया […]
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