
ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए
ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन! आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन! […]
ये सुन्दर कविता.. हर रिश्ते के लिए मैं रूठा, तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन! आज दरार है, कल खाई होगी फिर भरेगा कौन! […]
सच न बोलना(कवी नागार्जुन /कविता संग्रह) मलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को! जंगल में जाकर […]
आए दिन बहार के (कवि नागार्जुन/कविता संग्रह) ‘स्वेत-स्याम-रतनार’ अँखिया निहार के सिण्डकेटी प्रभुओं की पग-धूर झार के लौटे हैं दिल्ली से कल टिकट मार के […]
प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ (गुलाबी चूड़ियाँ/नागार्जुन कविता संग्रह) प्राइवेट बस का ड्राइवर है तो क्या हुआ, सात साल की बच्ची का […]
सत्य को लकवा मार गया है(सत्य/नागार्जुन कविता संग्रह) सत्य को लकवा मार गया है वह लंबे काठ की तरह पड़ा रहता है सारा दिन, सारी […]
सृष्टि(Srishti) – Sumitranandan Pant (सुमित्रानंदन पंत) [ads1] [ads2] मिट्टी का गहरा अंधकार, डूबा है उस में एक बीज वह खो न गया, मिट्टी न बना […]
मैं सबसे छोटी होऊँ तेरी गोदी में सोऊँ तेरा आँचल पकड़-पकड़कर फिरू सदा माँ तेरे साथ कभी न छोड़ूँ तेरा हाथ बड़ा बनाकर पहले हमको […]
15 August 1947 By Sumitranandan Pant 15 अगस्त 1947 – Sumitranandan Pant (सुमित्रानंदन पंत) चिर प्रणम्य यह पुष्य अहन, जय गाओ सुरगण, आज अवतरित हुई […]
♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥ Ek pal mein jo aakar gujar jaaye Yeh hawa ka woh jhoka hai ..aur kuch nahi Pyar kahti hai duniya jise, Ek rangeen dhokha […]
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